मुंशी प्रेमचंद व गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर संगोष्ठी व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन

मुंशी प्रेमचंद व गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर संगोष्ठी व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन

गयादीन स्कूल में भाषण देता बच्चा

लेखक: A पटेल शोशल मीडिया हेड

प्रयागराज। अमृत एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट, प्रयागराज के तत्वावधान में गयादीन विश्वकर्मा इंटर कॉलेज, भिदिउरा, थरवई में हिंदी साहित्य के दो महान स्तंभ – मुंशी प्रेमचंद एवं गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर संगोष्ठी और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, अभिभावकों एवं स्थानीय ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रेमचंद और तुलसीदास की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इसके बाद आयोजित संगोष्ठी और भाषण प्रतियोगिता में कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। छात्र-छात्राओं ने प्रेमचंद की यथार्थवादी रचनाओं और तुलसीदास द्वारा प्रस्तुत भक्ति साहित्य पर प्रभावशाली वक्तव्य दिए। विद्यार्थियों की प्रस्तुति में साहित्य के प्रति उनकी जागरूकता, आत्मविश्वास और भाषाई क्षमता स्पष्ट रूप से देखने को मिली। कार्यक्रम में ट्रस्ट के अध्यक्ष तीर्थराज विश्वकर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि – “मुंशी प्रेमचंद और गोस्वामी तुलसीदास का साहित्य न केवल समाज को दिशा दिखाता है, बल्कि मानवीय मूल्यों को भी मजबूती प्रदान करता है। छात्रों को इन महान साहित्यकारों के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने चरित्र में नैतिकता और संस्कार अपनाने चाहिए।” विद्यालय के प्रधानाचार्य और शिक्षकों ने तुलसीदास के भक्ति काव्य और प्रेमचंद की सामाजिक रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इन दोनों साहित्यकारों का साहित्य आज भी समाज में प्रासंगिक है। प्रेमचंद ने जहाँ किसानों, मजदूरों और वंचित वर्ग की आवाज़ को अपनी कहानियों में स्थान दिया, वहीं तुलसीदास ने रामकथा को घर-घर तक पहुँचाया और भारतीय संस्कृति को सशक्त किया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में साहित्यिक अभिरुचि पैदा करना और उन्हें भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ना रहा। कार्यक्रम की सफलता में विद्यालय परिवार, अभिभावकों और ग्रामीण समुदाय का सराहनीय योगदान रहा। यह आयोजन न केवल एक श्रद्धांजलि था, बल्कि नई पीढ़ी को साहित्य, संस्कृति और नैतिकता के प्रति जागरूक करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास भी रहा।

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