लीला साहू की आवाज़ रंग लाई: गर्भवती महिला के संघर्ष से गांव को मिली नई सड़क
लेखक: संपादकीय टीम Live News Express
सिध्दी, मध्य प्रदेश | 21 जुलाई 2025
गर्भावस्था के अंतिम महीने में भी संघर्ष करने वाली लीला साहू की आवाज़ आखिरकार सरकार और प्रशासन तक पहुँच गई। सोशल मीडिया पर वायरल हुए उनके वीडियो ने न सिर्फ लाखों लोगों का ध्यान खींचा बल्कि प्रशासन को मजबूर कर दिया कि वह जमीनी स्तर पर काम करे। अब उनके गांव में सड़क निर्माण का कार्य शुरू हो गया है।
📹 वीडियो से शुरू हुआ आंदोलन
लीला साहू, जो एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, ने अपने गांव की जर्जर सड़क की हालत का वीडियो साझा किया था। खास बात यह थी कि वह उस वक्त नौवें महीने की गर्भवती थीं और पैदल चलते हुए वीडियो में उन्होंने बताया था कि इस हालत में भी अस्पताल जाना कितना मुश्किल है।
🏥 एंबुलेंस नहीं पहुंचती थी घर
लीला का कहना था कि गांव की हालत ऐसी है कि एंबुलेंस भी घर तक नहीं पहुंच पाती। कई बार गर्भवती महिलाओं को खाट पर अस्पताल ले जाना पड़ता है। “मैं एक साल से चिल्ला रही हूं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा,” उन्होंने अपने वीडियो में कहा था।
🗣️ सांसद की टिप्पणी बनी विवाद का कारण
इस बीच बीजेपी सांसद राजेश मिश्रा की एक टिप्पणी सोशल मीडिया पर विवाद का कारण बन गई। जब लीला ने उनसे सड़क निर्माण की मांग की, तो उन्होंने कहा –
“डिलीवरी की तारीख बता दो, हम पहले ही उठवा लेंगे।”
इस कथन की सोशल मीडिया पर व्यापक आलोचना हुई और इसे असंवेदनशील और महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बताया गया।
🛣️ प्रशासन ने लिया एक्शन
मामला जब तूल पकड़ने लगा, तब स्थानीय प्रशासन हरकत में आया और सड़क निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है। अब गांव तक एंबुलेंस पहुँच सकेगी और अन्य मूलभूत सुविधाएं भी जल्दी शुरू होने की उम्मीद है।
✅ निष्कर्ष:
लीला साहू का यह संघर्ष एक उदाहरण बन गया है कि जब आम जनता आवाज़ उठाती है और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशासन को जवाबदेह बनाती है, तो बदलाव संभव है। यह सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि उम्मीद और हिम्मत का रास्ता है।
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