झूठे दुष्कर्म के आरोप से आहत बीडीसी सदस्य ने की आत्महत्या, पुलिस ने तीन को किया गिरफ्तार
लेखक: A पटेल शोशल मीडिया हेड लाइव न्यूज़ एक्सप्रेस
प्रयागराज, 30 जुलाई 2025।प्रयागराज जनपद के करछना थाना क्षेत्र अंतर्गत लोहंडी गांव में एक जनप्रतिनिधि की आत्महत्या ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। क्षेत्र पंचायत सदस्य दीपक पांडेय (38 वर्ष) ने सोमवार को अपने घर में लाइसेंसी रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उन्होंने एक वीडियो वायरल किया था, जिसमें उन्होंने खुद पर लगे झूठे दुष्कर्म के आरोप और परिवारिक षड्यंत्र का खुलासा किया।
मरने से पहले वायरल किया वीडियो
दीपक पांडेय ने अपनी मौत से ठीक पहले एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि गांव की महिला द्वारा लगाए गए दुष्कर्म के आरोप पूरी तरह झूठे और साजिशन हैं। वीडियो में उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग मिलकर उनकी छवि खराब कर रहे हैं और उन्हें फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
एफआईआर दर्ज, तीन गिरफ्तार
दीपक के भाई और पत्नी की तहरीर पर करछना पुलिस ने IPC की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 120B (षड्यंत्र), और 376 (दुष्कर्म का आरोप) में एफआईआर दर्ज की है।
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए:
- रेखा पांडेय (जिसने झूठा आरोप लगाया),
- रोहित शर्मा,
- और जयप्रकाश पांडेय
को गिरफ्तार कर लिया है।
अन्य नामजद आरोपियों की तलाश में दबिश दी जा रही है।
परिजनों का आरोप: यह आत्महत्या नहीं, मानसिक हत्या है
दीपक पांडेय के परिजनों ने आरोप लगाया है कि यह सिर्फ आत्महत्या नहीं, बल्कि एक पूर्व नियोजित मानसिक हत्या है। परिजनों के अनुसार, गांव के ही कुछ लोग राजनीतिक द्वेष और संपत्ति विवाद को लेकर दीपक को निशाना बना रहे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री और डीएम से CBI जांच की मांग की है।
जनता में गुस्सा, क्षेत्र में आक्रोश
दीपक पांडेय एक लोकप्रिय जनप्रतिनिधि थे और लगातार दो बार क्षेत्र पंचायत सदस्य रहे। उनकी मौत के बाद क्षेत्र में सन्नाटा और आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि दीपक गांव के विकास कार्यों में सक्रिय रहते थे और उन्हें झूठे केस में फंसाकर मानसिक दबाव दिया गया।
प्रशासन सख्त, जांच जारी
करछना थाना पुलिस ने बताया कि मामला बेहद संवेदनशील है। तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अन्य की तलाश की जा रही है। पुलिस का कहना है कि तकनीकी साक्ष्य, वायरल वीडियो और कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर मामले को मजबूत बनाया जा रहा है।
दीपक पांडेय की आत्महत्या एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि झूठे मुकदमों और सामाजिक दबाव से कैसे एक जनप्रतिनिधि की जिंदगी तबाह हो सकती है।
अब सवाल यह है — क्या झूठे आरोप लगाने वालों को भी कठोर सजा मिलेगी?
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