वाराणसी में सुनवाई के दौरान नियामक आयोग के सामने उठेगा निजीकरण का मुद्दा : झूठे आकड़ों और धमकी के बल पर निजीकरण करने की कोशिश कामयाब नहीं होने दी जायेगी◆ - संघर्ष समिति
मेजारोड प्रयागराज। जन जागरूकता अभियान के तहत आज मेजा खण्ड कार्यालय में विरोध सभा की गई।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, प्रयागराज ने कहा है कि झूठे आकड़ों, धमकी और दमन के बूते निजीकरण की साजिश कामयाब नहीं होने दी जायेगी। संघर्ष समिति द्वारा वाराणसी में टैरिफ की सुनवाई के दौरान निजीकरण का मुद्दा नियामक आयोग के सामने उठाकर निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने की मांग की जायेगी। आज लगातार 225वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रान्तव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, प्रयागराज के पदाधिकारियों ने आज यहां बताया कि निजी घरानों को मदद देने के लिए विद्युत वितरण निगमों ने निजीकरण के पहले टैरिफ में 45 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेज कर निजीकरण के बाद बिजली दरों में होने वाली बेतहाशा वृद्धि का संकेत दे दिया है। उन्होंने बताया कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारी और बिजली कर्मी 11 जुलाई को वाराणसी में नियामक आयोग के सामने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मुद्दा जोर-शोर से उठायेंगे।
संघर्ष समिति ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में कुल 6327 करोड़ रूपये की सब्सिडी विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को दी जा रही है। अत्यन्त दुर्भाग्य का विषय है कि सरकार की फंडिंग के नाम पर पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन इस सब्सिडी को कैश गैप में जोड़ कर घाटे में दिखा रहा है। इससे ऐसा लगता है कि निजीकरण के बाद किसानों, बुनकरों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं की सब्सिडी समाप्त करने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 5321 करोड़ रूपये टैरिफ की सब्सिडी है, निजी नलकूपों के लिए 376 करोड़ रूपये की सब्सिडी है और बुनकरों के लिए 630 करोड़ रूपये की सब्सिडी है। इस प्रकार कुल 6327 करोड़ रूपये की सब्सिडी विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में दी जा रही है।
संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में वर्ष 2024-25 में गैर सरकारी उपभोक्तओं से 13297 करोड़ रूपये राजस्व वसूल किया गया। सरकारी विभागों पर 4182 करोड़ रूपये का राजस्व बकाया है जो सरकारी विभागों ने नहीं दिया है। सरकारी विभागों का राजस्व बकाया देना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकारी विभाग का राजस्व जोड़ लिया जाये तो वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का कुल राजस्व 17479 करोड़ रूपये हो जाता है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने विद्युत नियामक आयोग को बताया है कि वर्ष 2024-25 का कुल खर्चा 20564 करोड़ रूपये है। इस प्रकार वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का घाटा मात्र 3242 करोड़ रूपये है।
पावर कारपोरेशन प्रबन्धन बढ़ाचढ़ा कर घाटे के झूठे आकड़ें दे रहा है और इस आधार पर निजीकरण किया जा रहा है। संघर्ष समिति प्रबन्धन के झूठे आंकड़ों के आधार पर निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में 11 जुलाई को वाराणसी में नियामक आयोग के सामने तथ्य रख कर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने की मांग करेगी।
संघर्ष समिति ने कहा है कि झूठे आकडों के साथ निजीकरण के लिए भय का वातावरण बनाया जा रहा है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में हजारों बिजली कर्मियों का वेतन रोक दिया गया है, हजारों बिजली कर्मचारियों को दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर कर दिया गया है और परामर्श के नाम पर चेतावनी के पत्र भेजे जा रहे हैं। संघर्ष समिति के 6 केन्द्रीय पदाधिकारियों के विरूद्ध स्टेट विजिलेंस की जांच के जरिये अनानुपातिक आय का फर्जी मामला बनाया जा रहा है। 3 केन्द्रीय पदाधिकारियों पर एफ आई आर की जा चुकी है। 3 अन्य पदाधिकारियों पर एफ आई आर की तैयारी है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी इन हथकण्डों से डरने वाले नहीं हैं और निजीकरण के विरोध में संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण का निर्णय पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता।
बता दें बिजली में निजीकरण के विरोध मे आज प्रयागराज में मेजा खण्ड कार्यालय में ई बीरेंद्र सिंह, शिवम रंजन, संदीप प्रजापति , रामेंद्र पांडेय, मदन यादव, मानवेन्द्र, बी के पाण्डेय,अभय नाथ राय, हेमन्त त्रिपाठी जूनियर इंजीनियर संगठन के पदाधिकारी इंजीनियर चंद्रशेखर,अभय यादव, शिवब्रत, एसडीओ सुरजीत कुमार मेजा, एसडीओ चंद्रशेखर आजाद कोरांव, अध्यक्ष जेई संगठन राकेश गुप्ता, जेई प्रमोद यादव,जेई मार्कण्डेय, जेई प्रदीप मिश्रा, जेई अनुज अवस्थी व बिजली कर्मी विरोध सभा में शामिल रहे।