पोस्टमार्टम के बाद हुआ अंतिम संस्कार, गरीब माता-पिता पर टूटा दुःख का पहाड़

 मिट्टी के गड्ढे में डूबने से चार मासूमों की मौत, गांव में पसरा मातम


पोस्टमार्टम के बाद हुआ अंतिम संस्कार, गरीब माता-पिता पर टूटा दुःख का पहाड़

लाइव न्यूज़ एक्सप्रेस


प्रयागराज, मेजा:

मेजा थाना क्षेत्र के बेदौली गांव में बुधवार की सुबह जो घटना घटी, उसने पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो दिया। गांव के किनारे बने एक गहरे मिट्टी के गड्ढे में चार मासूम बच्चों की डूबकर मौत हो गई। ये बच्चे रोज की तरह खेलने निकले थे, लेकिन किसी को नहीं पता था कि आज उनका खेल जीवन का अंतिम खेल बन जाएगा।


कैसे हुआ हादसा

गांव में एक ईंट भट्ठा संचालित होता है, जिसके लिए जमीन की खुदाई कर मिट्टी निकाली जाती रही। इससे वहां एक गहरा गड्ढा बन गया था, जिसमें हाल की बारिश से पानी भर गया था। बच्चे खेलते हुए उसी गड्ढे की तरफ पहुंचे और अचानक फिसलकर एक-एक करके चारों बच्चे उसमें गिर गए। जब तक आसपास के लोग कुछ समझ पाते, तब तक चारों की सांसें थम चुकी थीं।


मरने वालों की पहचान

हादसे में जान गंवाने वाले सभी बच्चे 5 से 10 वर्ष की उम्र के थे। चारों अलग-अलग गरीब परिवारों से थे, जो गांव में मजदूरी, ईंट भट्ठा पर काम या कभी-कभी भीख मांगकर जीवनयापन करते हैं।

परिजनों के अनुसार बच्चों के पास न तो अच्छे कपड़े थे, न ही खेल के खिलौने। फिर भी वे एक-दूसरे के साथ खुश रहते थे और गांव की गलियों में खेलते रहते थे।


पोस्टमार्टम के बाद अंतिम विदाई


स्थानीय पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। रिपोर्ट के बाद गुरुवार को गांव के श्मशान घाट पर चारों मासूमों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया।

परिजन अपने जिगर के टुकड़ों को मुखाग्नि देते समय बेसुध हो गए। माताएं बेहोश हो गईं, पिता फूट-फूटकर रोते रहे। गांव के सैकड़ों लोग नम आंखों से अंतिम यात्रा में शामिल हुए।


प्रशासन पर उठे सवाल

ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह गड्ढा काफी समय से गांव के बीच बना हुआ था और जानलेवा साबित हो सकता था। इसके बावजूद न तो ग्राम प्रधान ने और न ही संबंधित विभाग ने इसे भरवाने की कोई कोशिश की। अगर समय पर सुरक्षा के कदम उठाए गए होते, तो शायद आज चार जिंदगियां बच सकती थीं।


जनप्रतिनिधियों की चुप्पी

हादसे के बाद भी कोई जनप्रतिनिधि या बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। ग्रामीणों में इस बात को लेकर भारी रोष है। उनका कहना है कि चुनाव के समय नेता वोट मांगने आ जाते हैं, लेकिन जब कोई गरीब मरता है तो सभी मुंह फेर लेते हैं।


गांव में पसरा मातम

पूरा बेदौली गांव इस हादसे के बाद से गमगीन है। लोग अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहे कि जिन बच्चों की हंसी से गलियां गूंजती थीं, वे अब इस दुनिया में नहीं हैं। हर कोई यही कह रहा है – "काश प्रशासन ने पहले ही कुछ कर दिया होता।

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