नेशनल हाइवे के सरकारी बोर्ड बने प्रचार का साधन, जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी
लेखक: कुमार सत्यम गौड़ ग्रुप एडिटर
मेजा/प्रयागराज। नेशनल हाइवे पर लगने वाले डायरेक्शन साइन बोर्ड, जिनका उद्देश्य राहगीरों और वाहन चालकों को सही दिशा दिखाना होता है, अब लोगों के निजी प्रचार प्रसार का जरिया बन गए हैं। मेजा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि आसपास के कई इलाकों में यह दृश्य आम हो गया है कि सरकारी बोर्डों पर विज्ञापन, बैनर और पोस्टर चस्पा कर दिए जाते हैं। यह न सिर्फ सरकारी सम्पत्ति के साथ छेड़छाड़ है बल्कि यात्रियों को गुमराह करने वाला भी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा लगाए गए इन साइन बोर्डों पर राजनीतिक पार्टियों, निजी संस्थानों और व्यक्तिगत आयोजनों के विज्ञापन खुलेआम लगाए जा रहे हैं। कई बार तो बोर्ड पर इतने पोस्टर चिपका दिए जाते हैं कि असली दिशा जानकारी ढक जाती है, जिससे बाहर से आने वाले लोगों को परेशानी होती है।
जब इस मामले पर नेशनल हाइवे के जेई संजय तिवारी से सवाल किया गया तो उनका जवाब चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा, “मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है।” अधिकारियों की यह अनदेखी कहीं न कहीं इस बात को दर्शाती है कि जिम्मेदार खुद भी इस गड़बड़ी को रोकने में गंभीर नहीं हैं।
कानूनन राष्ट्रीय राजमार्ग के संकेतक बोर्डों पर किसी भी तरह का निजी उपयोग या पोस्टर लगाना दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद यदि लगातार इसका दुरुपयोग हो रहा है तो यह संबंधित विभाग की लापरवाही को उजागर करता है।
स्थानीय नागरिकों की मांग है कि जिला प्रशासन और एनएचएआई इस मामले पर तत्काल संज्ञान ले और ऐसे लोगों पर कार्रवाई करे जो सरकारी बोर्डों को अपना विज्ञापन माध्यम बना रहे हैं। साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए, ताकि आगे से इस तरह की लापरवाही ना हो।
सरकारी दिशा बोर्ड जनता की सुविधा के लिए लगाए जाते हैं, लेकिन यदि उन पर ही कब्जा कर लिया जाए, तो यह व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। सवाल यह है कि आखिर कब तक सरकारी संपत्तियों पर इस तरह का निजी कब्जा चलता रहेगा और अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहेंगे?