एफएलएन प्रशिक्षण: बच्चों से आत्मीय संबंध बनाकर करें शिक्षण कार्य

एफएलएन प्रशिक्षण: बच्चों से आत्मीय संबंध बनाकर करें शिक्षण कार्य

प्रशिक्षण केंद्र में मौजूद शिक्षक

लेखक: कुमार सत्यम गौड़ ग्रुप एडिटर

उरुवा, प्रयागराज। बीआरसी उरुवा के सभागार में सोमवार, 18 अगस्त को पांच दिवसीय फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी (एफएलएन) प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे बैच का शुभारंभ हुआ। यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और निपुण भारत मिशन के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक दक्षता के महत्व से अवगत कराना है, ताकि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मजबूत आधार पर खड़ी हो सके।

प्रशिक्षण केंद्र में मौजूद लोग


प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत में पूर्व सीनियर एआरपी एवं प्रशिक्षण संदर्भदाता राजेश मिश्रा ने कहा कि “बच्चों से आत्मीय संबंध बनाकर ही शिक्षण कार्य अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।” उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे इस प्रशिक्षण का अधिक से अधिक लाभ उठाएं और खेल-खेल में पढ़ाने की तकनीक को अपनाकर विद्यार्थियों की पढ़ाई को रोचक बनाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि “बुनियाद शक्तिशाली तो शिक्षा सार्थक” का संदेश तभी साकार होगा, जब शिक्षक पूरे मनोयोग से इस प्रशिक्षण को आत्मसात करके कक्षा में लागू करेंगे।

प्रशिक्षण केंद्र में मौजद लोग

प्रशिक्षण में विशेष रूप से एनसीईआरटी की नई पाठ्य पुस्तकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कक्षा तीन में इन पुस्तकों को लागू करने के बाद विद्यार्थियों में भाषाई प्रवीणता, गणितीय दक्षता और अंग्रेजी भाषा की समझ विकसित करने में आसानी होगी। साथ ही, बच्चों को बदलते परिदृश्य और प्रतियोगिता के माहौल के अनुरूप ढालने में यह पहल कारगर साबित होगी।

वर्तमान एआरपी उरुवा अजीत मिश्रा ने बताया कि प्रशिक्षण प्रतिदिन प्रातः 9:30 बजे से सायं 5 बजे तक चलाया जा रहा है। उरुवा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालयों के कुल 452 शिक्षक एवं शिक्षामित्रों को पांच बैचों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रत्येक बैच में 100 शिक्षक शामिल किए जा रहे हैं, जिन्हें दो कक्षों में 50-50 के समूह में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक दो बैचों में लगभग 200 शिक्षकों का प्रशिक्षण संपन्न हो चुका है, जबकि तीसरे बैच की शुरुआत सोमवार को हुई।

यह प्रशिक्षण बीआरसी उरुवा के लेखाकार कृष्ण कुमार शुक्ला की देखरेख में संचालित किया जा रहा है। प्रशिक्षण प्रदान करने वालों में पूर्व सीनियर एआरपी राजेश मिश्रा, प्रीतम दास और पुष्पेंद्र शुक्ला के साथ-साथ वर्तमान एआरपी अजीत मिश्रा एवं रामानंद शुक्ला शामिल हैं। इन सभी विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को बच्चों के सीखने के व्यवहार, उनकी समझ बढ़ाने की रणनीतियों और कक्षा में प्रभावी पठन-पाठन विधियों पर विस्तृत जानकारी दी।

इस अवसर पर प्रशिक्षुओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। उपस्थित शिक्षकों में जयशंकर पांडेय, अशोक कुमार, विकास पांडेय, राखी शुक्ला, गीता त्रिपाठी, संतोष मिश्रा, दीपाली, अर्चना तिवारी, संध्या पाल, निशा, सुनील विश्वकर्मा, नीतू गौतम, शादमा, ब्रजेश कुमार सिंह, प्रियल, रचना वर्मा, बृजेश कुमार भारती, प्रदीप मोहन सिंह, शैल कुमारी और आशीष रंजन प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

कार्यक्रम का मुख्य संदेश यही रहा कि शिक्षक यदि बच्चों से आत्मीय संबंध स्थापित कर शिक्षा देंगे, तो विद्यार्थी न केवल पढ़ाई में रुचि लेंगे, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा। एफएलएन प्रशिक्षण बच्चों की शैक्षिक नींव को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भविष्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।

इस प्रकार, उरुवा में आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण तकनीकों से अवगत करा रहा है, बल्कि “निपुण भारत मिशन” और “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” के सपनों को साकार करने की दिशा में भी एक सशक्त पहल है।

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