डीजे की धुन पर थिरकते निकले शिवभक्त, नागपंचमी पर करेंगे जलाभिषेक
लेखक: पीयूष मिश्रा डिप्टी एडिटर
मेजा/प्रयागराज: मेजा क्षेत्र में सावन माह के अंतिम सोमवार और नागपंचमी के पावन पर्व पर आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। क्षेत्र के खौर गांव से सैकड़ों की संख्या में शिवभक्तों का जत्था गगनभेदी जयकारों, DJ की धुनों और बोल बम के नारों के साथ कांवर यात्रा पर रवाना हुआ। यह कांवर यात्रा पकरी सेवार स्थित पगला बाबा आश्रम गंगा घाट से पवित्र गंगाजल लेकर भटौती पहाड़ी स्थित पहाड़ी महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए निकली।
हर वर्ष की भांति इस बार भी खौर गांव से शिवभक्तों का उत्साह चरम पर दिखाई दिया। सोमवार की देर शाम जैसे ही कांवर यात्रा रवाना हुई, पूरे क्षेत्र में भक्तिमय माहौल बन गया। “हर-हर महादेव”, “बोल बम”, “जय शिव शंकर” के नारों से वातावरण गूंज उठा। डीजे की तेज़ धुन पर थिरकते कांवरियों की टोली देखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही। श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों ने भी इस धार्मिक यात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और जगह-जगह जलपान व विश्राम की व्यवस्था की।
कांवर यात्रा का मार्ग पकरी सेवार गंगा घाट से शुरू होकर शंभुचक, डोरवा मोड़, सोरांव, मेजारोड, पौसिया, खौर, हनुमान चौराहा होते हुए भटौती पहाड़ी महादेव मंदिर तक तय किया जा रहा है। यात्रा के दौरान पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है, ताकि कांवर यात्रा शांतिपूर्वक और व्यवस्थित रूप से सम्पन्न हो सके।
कांवर यात्रा में भाग लेने वाले प्रमुख श्रद्धालुओं में इंद्रदेव यादव, श्यामधर यादव, श्रीकान्त यादव, पंकज सिंह, लक्ष्मी कांत प्रजापति, बऊ प्रजापति, मुकेश पिंटू यादव, दयाराम आदिवासी, श्रीराम प्रजापति, मुंशीलाल कुशवाहा, दिनेश यादव, बबलू यादव, सुशील कुमार जैसल, भगवान दास कुशवाहा, पवन यादव और प्रदीप यादव सहित कई अन्य श्रद्धालु शामिल रहे। इन सभी ने श्रद्धा और नियम के साथ पूरे मार्ग पर अनुशासन और भाईचारे की मिसाल पेश की।
भक्तों का कहना है कि नागपंचमी का दिन शिवभक्ति के लिए अत्यंत पावन होता है। इसी दिन वे पहाड़ी महादेव मंदिर पहुंचकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे और क्षेत्र की सुख-शांति व खुशहाली की प्रार्थना करेंगे। लोगों ने कांवरियों पर पुष्प वर्षा कर और शीतल पेय व फल वितरित कर उनका उत्साहवर्धन किया।
यह कांवर यात्रा ना केवल धार्मिक आस्था की प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकजुटता और परंपराओं के संरक्षण का भी एक सुंदर उदाहरण है। श्रद्धालु भक्तों का जोश और अनुशासन देखकर पूरा क्षेत्र शिवमय हो उठा।