मिट्टी की खुदाई से बने गड्ढे में डूबने से चार मासूमों की दर्दनाक मौत, गांव में पसरा मातम
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घटना स्थल पर मौजूद ग्रामीण |
मेजा:प्रयागराज:मेजा थाना क्षेत्र के बेदौली गांव में बुधवार सुबह एक ऐसा मंजर सामने आया जिसने हर किसी को झकझोर दिया। मिट्टी की खुदाई से बने गहरे गड्ढे में डूबने से एक ही परिवार से जुड़े चार मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा न केवल बच्चों के परिजनों के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए गहरे दुख और आक्रोश का कारण बन गया है।
खेलते-खेलते मौत के मुंह में समा गए मासूम
मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार शाम करीब पांच बजे चार बच्चे – हुनर (4), वैष्णवी (3), खेसारी (4) और कान्हा (3) घर से खेलने के लिए निकले थे। जब देर रात तक वे घर नहीं लौटे तो परिजनों ने उन्हें आसपास तलाशना शुरू किया। काफी देर खोजबीन के बावजूद बच्चों का कोई पता नहीं चल पाया। हारकर परिजनों ने मेजा थाना में इसकी सूचना दी।
सूचना मिलते ही थाना प्रभारी राजेश उपाध्याय, सिरसा चौकी प्रभारी अनिल पांडेय और अन्य पुलिस बल मौके पर पहुंचे और बच्चों की तलाश में रातभर जुटे रहे। बुधवार सुबह लगभग छह बजे गांव के ही पास बने एक गहरे गड्ढे में चारों बच्चों के शव उतराते हुए मिले। ग्रामीणों और पुलिस की मदद से बच्चों को बाहर निकाला गया और तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रामनगर ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने चारों को मृत घोषित कर दिया।
ईंट भट्ठे की खुदाई बना हादसे की वजह
यह दर्दनाक हादसा उस गड्ढे में हुआ जो गांव में ईंट भट्ठे के लिए मिट्टी की खुदाई के कारण बना था। बताया जा रहा है कि भट्ठा मालिक ने पास के खेत से मिट्टी खुदवाई थी, जिसमें हाल की बारिश का पानी भर गया था। यही गड्ढा बच्चों की जान का काल बन गया। गांव के ही निवासी बच्चों के परिजन बताते हैं कि उनके मासूम खेलते-खेलते वहीं जा पहुंचे और गहराई का अंदाज़ा न लगने के कारण डूब गए।
शोकाकुल परिवार, उजड़ गया घर
हादसे में जान गंवाने वाले चारों बच्चे आपस में रिश्तेदार थे। मृतकों में हुनर और वैष्णवी, हीरालाल के बच्चे थे; खेसारी, संजय कुमार का पुत्र था; और कान्हा, विमल कुमार का बेटा था। कान्हा के पिता दृष्टिहीन हैं और उसकी मां कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं। हीरालाल ने दुखी मन से बताया, “मेरा वंश ही समाप्त हो गया, अब बुढ़ापे में सहारा देने वाला कोई नहीं बचा।” खेसारी के पिता संजय कुमार और मां रेनू ने कहा, “हमारे दो बेटे थे, अब एक अरुण ही बचा है।”
प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल
इस हादसे ने प्रशासन और स्थानीय ईंट भट्ठा संचालकों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में खुलेआम मिट्टी की खुदाई की जाती है, लेकिन कोई सुरक्षा व्यवस्था या चेतावनी चिन्ह नहीं लगाए जाते। ऐसे गहरे गड्ढे जानलेवा साबित हो रहे हैं, और प्रशासन की चुप्पी अब ग्रामीणों को आक्रोशित कर रही है।
गांव के कई लोगों ने बताया कि मेजा क्षेत्र में ऐसे कई गड्ढे हैं जिन्हें खनन माफिया और भट्ठा मालिक मिट्टी निकालकर खुला छोड़ देते हैं। ऐसे हादसे पहले भी हो चुके हैं लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे सभी गड्ढों को तत्काल पाटा जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।
प्रशासन ने की मुआवजे की घोषणा
घटनास्थल पर पहुंचे उपजिलाधिकारी मेजा सुरेन्द्र प्रताप यादव ने पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी और आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, प्रत्येक मृतक के परिवार को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा भी की गई।
घटनास्थल पर तहसीलदार यमुना प्रसाद वर्मा, एसीपी मेजा एसपी उपाध्याय, कोतवाल मेजा राजेश उपाध्याय, सिरसा चौकी प्रभारी अनिल पांडेय, जेवानिया चौकी प्रभारी मनोज कुमार और क्षेत्रीय लेखपाल कमल पांडेय सहित भारी पुलिस बल तैनात रहा।
निष्कर्ष:बेदौली गांव की यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी का गंभीर उदाहरण है। यह हादसा केवल चार मासूम जिंदगियों का अंत नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि अब समय आ गया है जब खनन और निर्माण से जुड़े कामों में जिम्मेदारी तय हो और बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।