मेजा तहसील में बुजुर्ग की गरज: भ्रष्ट लेखपालों को जिला बदर करने की मांग।
पांच लेखपालों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, बुजुर्ग बोले – किसान जैसे लोग हो रहे परेशान, जिम्मेदारों की चुप्पी पर उठे सवाल
मेजा, प्रयागराज।(लाइव न्यूज़ एक्सप्रेस)
मेजा तहसील परिसर में उस वक्त चर्चा का केंद्र बन गया जब एक बुजुर्ग व्यक्ति ने अकेले माइक लेकर पूरे परिसर में भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ोरदार आवाज़ बुलंद की। यह बुजुर्ग थे हरिमोहन पाण्डेय, जिन्होंने हाथ में "मेरी आवाज़ सुनो" लिखा पोस्टर लिए, माइक के जरिए उपजिलाधिकारी तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की।हरिमोहन पाण्डेय का आरोप है कि मेजा तहसील के पांच लेखपाल भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और इनके कारण गरीब किसानों को जमीन संबंधित कार्यों में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इन भ्रष्ट लेखपालों को तत्काल प्रभाव से हटाया नहीं गया, तो परेशान होकर कोई भी किसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो सकता है। बुजुर्ग ने जिन लेखपालों पर गंभीर आरोप लगाए, उनके नाम इस प्रकार हैं, लेखपाल कमला शंकर पाण्डेय, लेखपाल धवल पाण्डेय, लेखपाल अशोक पाण्डेय, लेखपाल अमरनाथ आदिवासी, लेखपाल पंकज यादव, हरिमोहन पाण्डेय ने सार्वजनिक रूप से कहा कि इन लेखपालों को सिर्फ मेजा तहसील से नहीं, बल्कि पूरे जिले से जिला बदर किया जाना चाहिए। उन्होंने इन पर घूसखोरी, पक्षपात, फर्जी रिपोर्टिंग और किसानों से अनावश्यक धन वसूलने जैसे गंभीर आरोप लगाए।
स्थानीय लोगों की भी राय,
घटना के बाद परिसर में उपस्थित कई लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इन लेखपालों की शिकायतें पहले भी की जा चुकी हैं, लेकिन अब तक किसी तरह की कठोर कार्यवाही नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि गरीब किसान न्याय की तलाश में भटकते हैं, लेकिन तहसील में सुनवाई नहीं होती। हरिमोहन पाण्डेय की इस खुली अपील के बावजूद उपजिलाधिकारी समेत किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने अब तक कोई बयान नहीं दिया है। इससे प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।हरिमोहन पाण्डेय की यह एकल पहल पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन चुकी है। यह स्पष्ट संकेत है कि अब आम नागरिक भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने को तैयार हैं। प्रशासन को चाहिए कि मामले की निष्पक्ष जांच कर इन लेखपालों पर कार्यवाही करे, ताकि किसानों का भरोसा और लोकतंत्र की गरिमा बनी रह सके।