हाईकोर्ट : नागरिकों का मौलिक अधिकार है प्राथमिक शिक्षा, स्कूलों की जर्जर स्थिति पर मुख्य सचिव से मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश(पियुष मिश्रा)कोर्ट ने मामले में मुख्य सचिव का हलफनामा तलब करते प्राथमिकी स्कूलों की मरम्मत और उसके नियमित रखरखाव के बारे में लागू की गई नीति की जानकारी मांगी है और कहा है वह यह भी बताएं कि ऐसे मुद्दों को किस तरह हल किया जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों की स्थिति पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा है कि प्राथमिकी शिक्षा नागरिकों का मौलिक अधिकार है। लिहाजा, स्कूलों को जीर्ण-छीर्ण हालत में नहीं छोड़ा जा सकता है।
कोर्ट ने मामले में मुख्य सचिव का हलफनामा तलब करते प्राथमिकी स्कूलों की मरम्मत और उसके नियमित रखरखाव के बारे में लागू की गई नीति की जानकारी मांगी है और कहा है वह यह भी बताएं कि ऐसे मुद्दों को किस तरह हल किया जाएगा। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने चंद्र कला की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याची की ओर से कहा गया कि जिला शाहजहांपुर के पुवांयान तहसील, ब्लॉक जसवंतपुर और ग्राम पंचायत झरसा स्थित प्राथमिकी स्कूल की हालत सालों से जर्जर है। इस पर कोर्ट ने बीएसए से जानकारी मांगी थी। बीएसए के अनुसार जिले के 30 और स्कूलों की हालत खराब है। उनकी ओर से स्कूलों की बिल्डिंगों की मरम्मत, रखरखाव और नए भवनों के निर्माण के लिए प्रदेश की सरकार से वित्त की मांग की गई है।

स्वीकृति मिलने पर निर्माण कार्य कराया जाएगा। कोर्ट ने बीएसए की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी को देखने के बाद कहा कि प्राथमिक शिक्षा नागरिकों का मौलिक अधिकार है। ऐसे बिल्डिंग में उनके जीवन पर हमेशा खतरा बना रहता है। लिहाजा, इस मामले में मुख्य सचिव अपना जवाब दाखिल करें।


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