उत्तर प्रदेश(पियुष मिश्रा) प्रयागराज करीब तीन घंटे चली इस सर्जरी में चिकित्सकों ने महिला के पिछले ऑपरेशन के दौरान पड़े निशान से छेद बनाकर (हार्निया) सड़ी हुई आंत को बाहर निकाला। वहीं इस सर्जरी के बाद महिला अब खतरे से बाहर है।
स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) में बृहस्पतिवार को जनरल सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने प्रतापगढ़ निवासी 38 वर्षीय महिला के पेट से दो फिट सड़ी हुई छोटी आंत को निकालकर उसकी जान बचा ली, जो किसी कारनामे से कम नहीं है। करीब तीन घंटे चली इस सर्जरी में चिकित्सकों ने महिला के पिछले ऑपरेशन के दौरान पड़े निशान से छेद बनाकर (हार्निया) सड़ी हुई आंत को बाहर निकाला। वहीं इस सर्जरी के बाद महिला अब खतरे से बाहर है।
महिला को एसआरएन अस्पताल गंभीर स्थिति में 10 जनवरी को लाया गया था। इस दौरान उसके पेट में तेज दर्द था और मल पास न होने के कारण पस बनने लगा था।चिकित्सकों ने जांच में पाया कि 16 और 19 वर्ष पूर्व महिला ने दो बच्चों को जन्म दिया था। यह दोनों बच्चे सर्जरी से हुए थे। वहीं सर्जरी के दौरान पेट के निचले हिस्से में ऊपर से नीचे के बीच में चीरा लगाया गया और वहीं पर पेट की दीवार में आकर आंत फंस गई। जिससे गंभीर संक्रमण फैलने लगा। महिला के पेट और आंतों में इंफेक्शन के साथ पस बनने लगा था। ऐसे में सर्जरी काफी कठिन थी।जनरल सर्जन डॉ. संतोष सिंह और उनकी टीम डॉ. शेष नाथ, डॉ. उत्कर्ष, डॉ. हर्षित, डॉ. तुफैल ने बृहस्पतिवार की सुबह महिला के सर्जरी की शुरू की। जिसमें पिछले ऑपरेशन के दौरान पड़े निशान से छेद बनाकर (हर्निया) दो फिट से भी ज्यादा अंदर घुस चुकी सड़ी हुई आंत को बाहर निकाला गया। इस ऑपेरशन में तीन घंटे से अधिक समय लगा। वहीं एनेस्थेटिक डॉ. अनिल सिंह, नर्स शांति पाल, ओटी टेक्नीशियन सुनील कुमार और स्टाफ के दो अन्य सदस्यों ने महत्वूपर्ण भूमिका निभाई। डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि मरीज ने पहले भी कहीं बाहर दिखाया था।
पेट में हर्निया (वेंट्रल हर्निया) के कारण
1-पेट की सर्जरी
2-जन्मजात मांसपेशियों का कमजोर होना
3-उम्र बढ़ना और प्राकृतिक मांसपेशीय विकृत
4-जीर्ण मोटापा
5-पेट में चोट
6-गर्भावस्था और प्रसव
7-पुरानी लंबे समय की खांसी
8-पुरानी कब्ज या शौच करने के लिए जोर लगाना।
तीन दिनों से शौच वगैरह नहीं होने से पस भी काफी हो चुका था। इससे आंतों का कुछ हिस्सा खराब होने लगा था। सर्जरी भी जल्द से जल्द करना जरूरी था। हमने इनका ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। ये काफी लंबा चला, लेकिन सफल रहा। अभी मरीज को तीन से चार दिन ऑब्जरवेशन में रखेंगे। - डॉ. संतोष सिंह, वरिष्ठ सर्जन, एसआरएन हॉस्पिटल, प्रयागराज।