एक मासूम जो किताबों की दुनिया में खो जाने निकला था, लेकिन लौटकर नहीं आया।
लेखक: लाइव न्यूज़ एक्सप्रेस टीम
मांडा, प्रयागराज।
उसने बस स्कूल जाना था... कंधे पर छोटा सा बैग था, चेहरे पर मुस्कान और आंखों में सपने थे। किताबों की दुनिया में खो जाने निकला 7 साल का मासूम विवान, अब कभी नहीं लौटेगा। शनिवार को प्रयागराज के मांडा क्षेत्र के नरवर चौकठा गांव में वह हमेशा के लिए खामोश हो गया।
विवान, गांव के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा दो का छात्र था। हर रोज की तरह वह सुबह स्कूल के लिए तैयार हुआ, बहन का हाथ पकड़ा और घर से निकल पड़ा। मगर इस बार किस्मत ने कुछ और ही लिख दिया था। दोपहर होते-होते गांव के बाहर एक गहरे गड्ढे में उसका नन्हा शव तैरता मिला। यह गड्ढा गांव में हो रहे अवैध खनन की निशानी था — जो अब एक मासूम की जिंदगी निगल चुका है।
मां पहले ही दुनिया छोड़ चुकी थी...
विवान की मां का वर्षों पहले ही बीमारी से निधन हो गया था। उसके पिता अरुण हरिजन मेहनत-मजदूरी करके बच्चों को पढ़ाने का सपना देख रहे थे। विवान दो भाइयों में छोटा था, और पिता की आंखों का तारा।
हर सुबह वह अपने छोटे-छोटे हाथों से किताबें संभालता, चप्पल पहनता और स्कूल चल देता। पर आज उसकी चप्पलें अकेली रह गईं, उसका बस्ता भीग गया और किताबें… चुपचाप रो पड़ीं।
गांव रो पड़ा, शिक्षक बेखबर
सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर विवान स्कूल आया था तो शिक्षक क्यों नहीं जान पाए कि वह कब और कैसे स्कूल से गायब हुआ? क्या उसकी अनुपस्थिति पर किसी ने ध्यान नहीं दिया? क्या मासूमों की जिम्मेदारी सिर्फ नामांकन तक ही सीमित है?
खंड शिक्षा अधिकारी वरुण मिश्र ने कहा है कि स्कूल के शिक्षकों से जवाब मांगा गया है और मामले की जांच की जाएगी। लेकिन एक नन्ही जान के चले जाने का जवाब कोई जांच नहीं दे सकती।
एक सवाल जो हर माता-पिता को डराता है...
आज विवान नहीं रहा। लेकिन उसके चेहरे की मासूमियत, उसके पिता की आंखों का दर्द, और बहन की खामोशी – ये सब कुछ चीख-चीख कर सवाल कर रहे हैं –
"क्या हमारे बच्चे सुरक्षित हैं?"
"क्या स्कूल जाने वाला हर बच्चा घर सही-सलामत लौटेगा?"
👉 Live News Express आपसे अपील करता है — ऐसे गड्ढों को जल्द भरा जाए, अवैध खनन पर कड़ी कार्रवाई हो और स्कूल प्रशासन बच्चों की सुरक्षा के प्रति पूरी ज़िम्मेदारी ले। क्योंकि एक मासूम की ज़िंदगी कोई आंकड़ा नहीं होती — वो पूरा एक सपना होता है।